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नवरात्रि में दुर्गा पूजा-पाठ की यह विधि यहां संक्षिप्त रूप से दी जा रही है। नवरात्रि ...

... पूजा के दिन उपलब्ध कराता है। दुर्गा पूजा को दुर्गोत्सव भी कहा जाता है ।

दुर्गा जी हिन्दू धर्म की देवी हैं। इन्हें आदिशक्ति के नाम से भी जाना जाता है। इनके नौ अन्य रूप है जिनकी पूजा नवरात्रों में की जाती है। माना जाता है कि राक्षसों का संहार करने के लिए देवी पार्वती ने दुर्गा का रूप धारण किया था।
सामग्री
देव मूर्ति के स्नान के लिए तांबे का पात्र, तांबे का लोटा, जल का कलश, दूध, देव मूर्ति को अर्पित किए जाने वाले वस्त्र व आभूषण।
प्रसाद के लिए फल, दूध, मिठाई, पंचामृत( दूध, दही, घी, शहद, शक्कर ), सूखे मेवे, शक्कर, पान, दक्षिणा।
गुड़हल के फूल, नारियल।
चावल, कुमकुम, दीपक, तेल, रुई, धूपबत्ती, अष्टगंध।
गणेश पूजन
प्रथमपूजनीय गणपति गजानन गणेश हिन्दू धर्म के लोकप्रिय देव हैं। इनका वर्णन समस्त पुराणों में सुखदाता, मंगलकारी और मनोवांछित फल देने वाले देव के रूप में किया गया है। भगवान गणेश को वरदान प्राप्त है की किसी भी शुभ कार्य से पहले उनकी पुजा अनिवार्य है, बिना श्री गणेश की पूजा के किसी भी यज्ञ आदि पवित्र कार्य को सम्पूर्ण नहीं माना जा सकता|
सकंल्प
पूजन शुरू करने से पहले सकंल्प लें। संकल्प करने से पहले हाथों में जल, फूल व चावल लें। सकंल्प में जिस दिन पूजन कर रहे हैं उस वर्ष, उस वार, तिथि उस जगह और अपने नाम को लेकर अपनी इच्छा बोलें। अब हाथों में लिए गए जल को जमीन पर छोड़ दें।
माता दुर्गा की पूजा
सबसे पहले जिस मूर्ति में माता दुर्गा की पूजा की जानी है। उस मूर्ति में माता दुर्गा का आवाहन करें। माता दुर्गा को आसन दें। अब माता दुर्गा को स्नान कराएं। स्नान पहले जल से फिर पंचामृत से और वापिस जल से स्नान कराएं। अब माता दुर्गा को वस्त्र अर्पित करें। वस्त्रों के बाद आभूषण पहनाएं। अब पुष्पमाला पहनाएं। सुगंधित इत्र अर्पित करें, तिलक करें। तिलक के लिए कुमकुम, अष्टगंध का प्रयोग करें। 
अब धूप व दीप अर्पित करें। माता दुर्गा की पूजन में दूर्वा को अर्पित नहीं करें। लाल गुड़हल के फूल अर्पित करें। 11 या 21 चावल अर्पित करें। श्रद्धानुसार घी या तेल का दीपक लगाएं। आरती करें। आरती के पश्चात् परिक्रमा करें। अब नेवैद्य अर्पित करें। माता दुर्गा की आराधना के समय ‘‘ऊँ दुं दुर्गायै नमः'' मंत्र का जप करते रहें।
माता दुर्गा की पूजन के पूरा होने पर नारियल का भोग जरूर लगाएं। माता दुर्गा की प्रतिमा के सामने नारियल अर्पित करें। 10-15 मिनिट के बाद नारियल को फोड़े। अब प्रसाद देवी को अर्पित कर भक्तों में बांटें।
क्षमा-प्रार्थना
पूजन में रह गई किसी भी प्रकार की त्रुटि के लिए दुर्गा माता से क्षमा मांगे।

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